आओ फिर से दिया जलाये......(Aao Phir Se Diya Jalayen....)



आओ फिर से दिया जलाये






आओ फिर से दिया जलाये 
भरी दुपहरी में अँधियारा 
सूरज परछाई से हारा 
अंतरम का नेह निचोड़े 
भुझी हुई बाती सुलगाये 
आओ फिर से दिया जलाये 

हम पड़ाव को समझे मंजिल 
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल 
वर्तमान के मोहजाल में 
आने वाला कल न भुलाये 
आओ फिर से दिया जलाये 

आहुति बाकि यज्ञ अधूरा 
अपनों के विघ्नों ने घेरा 
अंतिम जय का वज्र बनाने 
नव दधिची हड्डिया गलाए 
आओ फिर से दिया जलाये